Wednesday, April 13, 2016


सुरत दाएं बाएं भान, सिर आगूं धरिया आन |
खड़ा रहे दोऊ हाथ पकर, सो सके हजूर बातां कर ||
(8:12 कयामतनाम बडा)
परमात्मा को पाने का सबसे सरल मार्ग है की अपना ध्यान व्यर्थ की सभी बातों से हटा कर केवल एक परमात्मा को स्मर्पित हो जाना चाहिए अर्थात केवल एक परमात्मा के आलावा कहीं भी और किसि भी विषय में लिप्तता नही होनी चाहिए.. इसी विषय पर मुझे एक महात्मा का ध्यान आता है वो हिमालय में विचरण करते थे और वो किसी से भी बात  नही करते थे वो किसि के प्रणाम का जवाब नही देते थे केवल परमात्मा में मग्न रहते थे कोई बार बार प्रणाम करे तो केवल मुस्कुरा कर एक ही बात कहते थे की ‘’केवल परमात्मा सतसत बाकि सब गपशप’’ अर्थात परमात्मा के आलावा सब गपशप है जिसका कोई अर्थ नही है, इसलिए हमें केवल एक परमात्मा में ध्यान लगाना चाहिए ..
और परमात्मा पराप्ति के लिय केवल एक परमात्मा को समर्पित होजाना चाहिए अर्थात केवल एक शुद्ध सत्ये परमात्मा को धारण करना , और उनके शुद्ध अदुेत ज्ञान से उत्पन्न प्रेम और शुद्ध अचल इमान रूपी दोनों हाथो को सदा पकड़ कर रखना चाहिए इस कारण हम सदा उनके सनिध्ये में रहेंगे और और उनसे बातें करने का प्रत्येक्ष अनुभव होगा और सदा परमात्मा से घुलमिल कर रहेंगे ....यही परमात्मा प्राप्ति का सबसे सरल मार्ग है..

प्रणाम जी

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