Tuesday, April 12, 2016


उठो मोमिनो कयामत आई ...
और तिन दिन होसी अँधा धुंध, दुआर तोबा के होसी बंध |
कह्या होसी और रसेब, तब कोई किसी का नाहीं खेस ||

हे साधुजनों हदीस आदि धर्मग्रंथो की भाविष्येवाणी के अनुसार क़यामत के समय के अर्थ का विवरण किया है |कयामत से हम जो अर्थ लगते है कयामत का अर्थ वो नही है हमारे अनुसार कयामत कोई प्रलय है या संसार का आखिर का समय है पर कयामत का यह अर्थ नही है , कयामत का अर्थ संसार की अंतिम अवस्था नही है अपितु हमारी अध्यात्म की अंतिम अवस्था है अर्थात पुर्ण जागर्त ग्यान या निजबुद्ध का आभास .इसे कयामत इसलिए कहा गया है क्यूंकि इस से पहले अध्यात्म की इस अवस्था तक कोई नही पहुँच पाया था और ये अवस्था सबपे एक साथ नही आयेगी अर्थात कयामत किसी एक दिन नही होगी ये अवस्था सबपे उनकी करनी माफक कृपा के अनुसार आती जाएगी ,कयामत आई रे का अर्थ है की अब वो अवस्था आनी शुरू हो गयी है अर्थात कयामत का जो समय कुरान आदी ग्रन्थोमें बताया है वह आ चुका है..,

इस अवस्था के अनुसार--कयामत में चारो और अन्धाधुन्दी अर्थात हाय तोबा मच जाएगी क्योंकि जिसपे कयामत (पुर्ण जाग्रत या निजबुद्ध का ग्यान ) आयेगी वह धर्मं समझे जाने वाले सभी रुडिवादी धारणाओं को त्याग देगा जिस कारण धर्म के ठेकेदारों में वह पतित हो जायेगा और वो हाय तोबा मचाएंगे ..

प्रायश्चित के दुार बंध हो जायेंगे अर्थात उसके लिए कर्मकाण्ड में मूर्तियों के सामने मत्था रगड कर माफ़ी मांगने का कोई महत्त्व नही रहेगा ..उसकी और दुसरो की रीती आदि में अंतर आ जायेगा क्योंकि वो जड़ पूजा और झूठे रीती रिवाजो का पूर्णतः त्याग देगा जिसको लोग चाह कर भी नही त्याग पाएंगे ..

उस समय कोई किसी का मित्र नही रहेगा अर्थात उसके लिए किसी के प्रति मोह व लोभ का भाव समाप्त हो जायेगा उसका सबसे मोह भंग हो जायेगा..ये है कयामत अर्थात अध्यात्म की अंतिम अवस्ता का प्रभाव इसलिय जो लोग बाहर से किसी कयामत के आने की प्रतिक्षा कर रहें हैं वो भली भांती जान लें कि कयामत आचुकी है ...

प्रणाम जी

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