आत्मा और परमात्मा की एक रूपता क्या है ...थोडा ध्यान पूर्वक ग्रहण करें..
परमात्मा पुर्ण आनंद,शुद्ध प्रेम,चेतनता व अन्नतता का शुद्ध स्वरूप है उन्ही के हृदय का अंश सब आत्माऐं हैं ,
परमात्मा के पुर्ण आनंद,शुद्ध प्रेम,चेतनता व अन्नतता का शुद्ध स्वरूप का अन्नत विस्तार का अन्नत आनंद को ग्रहण करने के लिय उपस्थित शुद्ध रूप को परमधाम कहते हैं ,
आनंद की लिला यही रूप परमधाम सब आतमाऔं का शुद्ध हृदय है और धयान दें सभी आत्माऔं में यही हृदय है ..इसलिय इनमें अदूैत भाव है अर्थात परमधाम व हृदय एक ही है इसलिय जो भी शुद्ध आनंद के लीला रूप परमधाम में आनंद लीला होती है चाहे वो एक पत्ता भी हिले वो सब आतमाऔं के हृदय में होता है और ये शुद्ध लिला रूपी धाम परमात्मा से ही है इसलिय यह परमातमा का निवास भी है इसलिय सब आत्माऔ का हृदय परमात्मा का धाम है ...अब जरा सोचिय आत्मा और परमात्मा में भिन्नता असंभव है या नही जब यही बोध आत्मा को सत्य रूप में हो जाता है तो यही आत्मा का प्रेम है..
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी.
परमात्मा पुर्ण आनंद,शुद्ध प्रेम,चेतनता व अन्नतता का शुद्ध स्वरूप है उन्ही के हृदय का अंश सब आत्माऐं हैं ,
परमात्मा के पुर्ण आनंद,शुद्ध प्रेम,चेतनता व अन्नतता का शुद्ध स्वरूप का अन्नत विस्तार का अन्नत आनंद को ग्रहण करने के लिय उपस्थित शुद्ध रूप को परमधाम कहते हैं ,
आनंद की लिला यही रूप परमधाम सब आतमाऔं का शुद्ध हृदय है और धयान दें सभी आत्माऔं में यही हृदय है ..इसलिय इनमें अदूैत भाव है अर्थात परमधाम व हृदय एक ही है इसलिय जो भी शुद्ध आनंद के लीला रूप परमधाम में आनंद लीला होती है चाहे वो एक पत्ता भी हिले वो सब आतमाऔं के हृदय में होता है और ये शुद्ध लिला रूपी धाम परमात्मा से ही है इसलिय यह परमातमा का निवास भी है इसलिय सब आत्माऔ का हृदय परमात्मा का धाम है ...अब जरा सोचिय आत्मा और परमात्मा में भिन्नता असंभव है या नही जब यही बोध आत्मा को सत्य रूप में हो जाता है तो यही आत्मा का प्रेम है..
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