*महत्पूर्ण प्रश्नोत्तरी...*
प्रश्न - अहं कया है ?
उत्तर - आपके अदूेत सत्य आनंद स्वरूप से अन्य जो अपना अस्तितव मान रखा है,, जिसमें परमात्मा से अलगाव महसूस हो रहा है ये अहं है |
प्रश्न - कया मन के लय होने से अहं का लय है ?
उत्तर - नही , अहं मन का जनक है, अहं से ही मन बन्ता व मिटता रहता है, मन से अंह को नियन्त्रित करना संभव नही है |
प्रश्न - अहं और अहंकार एक है या अहंकार अहं से अलग है ?
उत्तर - अहंकार अहं से अलग है , अहं मन, चित, बूद्धि व अहंकार के माध्यम से कार्य करता है , मन, चित, बूद्धि व अहंकार, अहं के हृदय के रूप में कार्य करते है, अहं इस वृक्ष का मूल है | अहं के किसी मान्यता विषेश में स्थित होने पर उस स्थिती में होने वाली बलिस्ठ गहन्ता अहंकार है |
प्रश्न - विकार कितने प्रकार के हैं ? और वो कोनसे हैं ?
उत्तर - विकार दो प्रकार के हैं, मूल विकार और उप विकार | मूल विकार "अहं" है (आपके अदूेत सत्य आनंद स्वरूप से अन्य जो अपना अस्तितव मान रखा है,, जिसमें परमात्मा से अलगाव महसूस हो रहा है ये अहं है ) और काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार ये उप विकार हैं |
मूल विकार के समाप्त हुये बिना उपविकार समाप्त नही हो सकते ये असम्भव है.. और हम अन्नत जन्मो से यही भूल कर रहे हैं |
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