Tuesday, May 15, 2018

मन क्या है

क्रिया और कर्ता के बीच की स्थिती मन है.. कर्ता जब भक्ती की क्रिया करता है तो भी मन ही उत्पन्न होता है मन ही खेलता है, मन ही शून्य होकर भक्ती के सुख मे भर्मित करता है..

कर्ता याने अहं के समाप्त हुये बिना मन से छुटकारा संभव नही है..
Www.facebook.com/kevalshudhsatye

No comments:

Post a Comment