Monday, May 7, 2018

आत्म ज्ञान बोहोत मुश्किल लगता है और ये संसार सत्य लगता है

*आत्म ज्ञान बोहोत मुश्किल लगता है और ये संसार सत्य लगता है क्या करूं?*

जब रात को सुबह के विषय में सोचते होतो वो सपने जैसा लगता है और जब सुबह रात के विषय में सोचते हो तो वो सपना लगती है।मोहसे भरा हुआ इंसान एक सपने कि तरह हैं, यह तब तक ही सच लगता है जब तक वह अज्ञान की नींद में सो रहे होते है. जब उनकी नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नही रह जाती है.

*आत्मा क्या है?*

आत्मा अनंत है इसको जाना नहीं जा सकता।तुम अपने बाप या पत्नी को तो अच्छे से जान नहीं सकते तो जो अनंत है उसे कैसे जनोगे। अज्ञानता के कारण आत्मा सीमित लगती है लेकिन जब अज्ञान का अंधेरा मिट जाता है तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है. जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देने लगता है. इस से पहले आत्मा क्या है ये नहीं जान सकता और  कोई कह सकता।

*क्या आत्मा को ज्ञान होना है?*

जिसतरह किसी दीपक को चमकने के लिए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है ठीक उसी तरह आत्मा को जो खुद ज्ञान का स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है.

*सत्य की परिभाषा क्या है ?*

सत्यकी बस इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा और जो स्वयं आनंद है।

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