*बन्धन का कारण कया है??*
कारण शरीर ”प्रकृति” का नाम है। सत्त्वगुण, रजोगुण और तमोगुण, इन तीनों के समुदाय का नाम प्रकृति है। ये सूक्ष्मतम कण हैं। उसी का नाम ‘कारण-शरीर’ है।
अब उस प्रकृति रूपी कारण शरीर से दूसरा जो शरीर उत्पन्न हुआ, उसका नाम ‘सूक्ष्म शरीर’ है। आपने शरीर पर सूती कुर्ता कपड़ा पहन रखा है। इसका कारण है धागा। और धागे का कारण है- रूई। रूई, धागा और कॉटन-कुर्ता ये तीन वस्तु हो गयीं। कुर्ता, धागा और रूई, तो ऐसे तीन शरीर हैं- स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर और कारण शरीर। पर इनमें से बंधन का जो महा कारण है वह है महाकारण शरीर ये है महाअग्यान इसके भी पीछे छिपी है सब बंधनो की जड़ .. परमात्मा का आपके साथ जो 'वियोग' मालुम देता है कि 'परमात्मा'के साथ हमारा 'वियोग' है-ऐसा जो अनुभव होता है, वह है महा कारण , और जिसको ये वियोग अनुभव होता है वह है सब बन्धनो की जड़ ... और यह है *शुक्षम अहम* *इसको पालिया तो समझो आधा काम हो गया*.. कयोंकी इसको पाकर ही इसे समाप्त किया जा सकेगा..
*मारा कह्या काढ़ा कह्या, और कह्या हो जुदा। एही मैं खुदी टले, तब बाकी रह्या खुदा।।*
*ए मैं मैं क्यों ए मरत नहीं,और कहावत है मुरदा। आड़े नूर जमाल के, एही है परदा*
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प्रणाम जी
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