गूरू को जानने की अपेक्षा गूरूतत्व को जानना परम आवश्यक है जो की गूरू से बिल्कुल विपरीत है.. जब तक नही जानोगे तब तक अनंत बार गुरू बनाना पडे़गा, और अनंत बार मायिक गुरूओं का दास बनकर रहना पडे़गा । यह सत्य जीतना जल्दी स्विकारोगे उतना ही लाभ है।
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