प्रश्न- अगर मेरी मृत्यु हो गई तो कया मेरी भक्ती या साधना का अगले जन्म में कया होगा..??
उत्तर- अगर इसका उत्तर जान लिया तो सफर यहीं समाप्त हो जायगा कयोंकी इसके उत्तर में पूरी गहनता छिपी हुई है.
चलिय जान्ने का प्रयास करते हैं...
पहले तो ये जान लो की जो भक्ती या सत्य का मार्ग है वो कोन कर रहा है अर्थात इस मार्ग का मुसाफिर कौन है.. कयोंकी अगले जन्म मे भक्ती के सफर की बात कर रहे हो तो मुसाफिर कौन है ये भी तो पता होना चाहिये..
1. कया ये शरीर भक्ती कर रहा है, नही ये जड़ है ये कैसे भक्ती कर सकता है..
2. तो कया मन भक्ती कर रहा है, नही ये मन है ही नही ये जो मन जैसा लग रहा है ये आपसे उत्पन्न स्थिती है जो निरंतर बदलती है इसलिय इसके भक्ती करने का ते सवाल ही नही होता. बुद्धि और अहंकार भी इसी श्रेणी में आते है इसलिय वो भी नही..
तो कौन???
अब रहा केवल चेतना या चेतन, जिसकी मृत्यु नही हो सकती..( ये कौन है ये अलग विषय है तो अभी मोटे तौर पर अपने को चेतन ही मानो)
तो अब उत्तर शपष्ट है की जिसे तुम मृत्यु कह रहे हो वो उसकी होती है जो भक्ती कर ही नही सकता, और जो भक्ती कर रहा है उसकी मृत्यु होती नही है वो निरंतर अपनी साधना करता है,पुर्ण होने तक निरंतर केवल शरीर बदल सकते है चेतना वही रहती है, जो भक्ती कर रही होती है.. तुम्हारी मृत्यु ही नही होनी, तो जिसकी मृत्यु होनी है तुम वो अपने को मान बैठे हो इसलिय ये सवाल कर रहे हो..
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