1- जिस तरह किसी दीपक को चमकने के लिए दूसरे दीपक की ज़रुरत नहीं होती है ठीक उसी तरह आत्मा को जो खुद ज्ञान का स्वरूप है उसे और क़िसी ज्ञान कि आवश्यकता नही होती है.
2- हमें आनंद तभी मिलता है जब हम आनंद कि तलाश नही कर रहे होते है.
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