Wednesday, March 23, 2016

वाणी

सचो सोणे जीं थेयो, भाईयां सोणों थेयो सचो |
लाड कोड के करियां, अंखियें जां न अचो ||

यहाँ इस माया में आके ब्रह्मात्माओं पर दुैत  का रंग ऐसा चढ़ गया है के उनको अपना खुद का अदुैत धाम स्वप्न के जैसा लगने लगा है और ये दुैत की माया सत्ये लगने लगी है क्योंकि आत्माओं की नजर जीव पर है और जीव पर माया का दुैत का खेल प्रतिबिंबित  हो रहा है जिस कारण आत्मा उसे देख कर उसी में रम कर उसी को सत्ये  मानने लगी है जब तक आत्मा की नजर जीव पर माया के प्रतिबिंब को निहारती रहेगी वो दुैत या माया में ही मग्न रहेगी क्योंकि आत्मा की दृष्टि दुैत की और है इसलिए उसकी नजर में अदुैत नही आ रहा जब आत्मा की दृष्टि सवंय की और हो जाएगी तो उसको अपने हृदये में बैठे अदुैत परमात्मा का आभास हो जायेगा और उसे सवयम के विषये का आनंद मिलेगा जिस से परमात्मा के प्रती प्रेम जागृत हो जायेगा , जब उसकी दृष्टि अदुैत की और होगी तो स्वत: ही दुयैत से विमुख हो जाएगी जिस से सत्य का प्रभाव जीव पर भी होगा और जीव को भी आत्मा का बोध होने लगेगा व् जीव भी आतम भाव में आ जायेगा व् वो भी अपने सत्ये स्वरूप  को प्राप्त कर आखंडता को प्राप्त करेगा...

 प्रणाम जी 

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