गहनता से लें...
हक कदम हक अरसमें, सो अरस मोमिन दिल।
छूटे ना अरस कदम, जो याहीं की होए मिसल।।
परमात्मा की उपस्थिती केवल परमात्मा तत्वी ही होती है जो पूर्ण आनंद से भी पूर्ण सदा से व अन्नत है यही पूर्ण व अन्नत सभी आत्माओं का हृदय है, सब में यही हृदय है ,इसलिय सब वाहेदत मे हैं अर्थात सबमे एकदिली है..यही परमधाम हैं. इसलिय सब ब्रह्मआत्माओंका हृदय परमधाम कहा गया है. इसलिए जो परमधामकी आत्माऐं होंगी उनके हृदय से परमात्मा के चरणकमल याने उन की उपस्थिती क्षणमात्रके लिए भी नहीं छुटेगी छूट भी कैसे सकती है ज़रा वाहेदत के भाव को समझोगे तो विषय अपने आप समझ आ जायगा..
प्रणाम जी
हक कदम हक अरसमें, सो अरस मोमिन दिल।
छूटे ना अरस कदम, जो याहीं की होए मिसल।।
परमात्मा की उपस्थिती केवल परमात्मा तत्वी ही होती है जो पूर्ण आनंद से भी पूर्ण सदा से व अन्नत है यही पूर्ण व अन्नत सभी आत्माओं का हृदय है, सब में यही हृदय है ,इसलिय सब वाहेदत मे हैं अर्थात सबमे एकदिली है..यही परमधाम हैं. इसलिय सब ब्रह्मआत्माओंका हृदय परमधाम कहा गया है. इसलिए जो परमधामकी आत्माऐं होंगी उनके हृदय से परमात्मा के चरणकमल याने उन की उपस्थिती क्षणमात्रके लिए भी नहीं छुटेगी छूट भी कैसे सकती है ज़रा वाहेदत के भाव को समझोगे तो विषय अपने आप समझ आ जायगा..
प्रणाम जी
No comments:
Post a Comment