Tuesday, March 22, 2016

सुुप्रभात जी

जिसे आप सद्गुरु मानकर सेवा करते हैं, उनसे जाकर केवल इतनी सी बात पूछिए कि महाप्रलय या शरीर छोड़ने के बाद हमारा मूल घर कहां होगा ?
कयोंकि पाताल से बैकुण्ठ और निराकार तक जिसका वर्णन किया जाता है, वह तो महाप्रलय में लीन हो जाने वाला है। इससे भिन्न जो अखण्ड मण्डल अदूैत पारबृह्म पूर्ण परमात्मा निराकार ओर साकार कि परिधियों से परे है, उसके बारे में बताइए।
इसलिय हे सत्य मार्गीयों जिसे स्वयं न तो अपने स्वरूप की पहचान है और न अपने मूल की, वह भला इस भवसागर से पार कैसे हो सकता है ?
भले ही कोई अपने मुख से अपनी प्रशंसा लाखों हजार बार करे तथा स्वयं को परमात्मा के रूप में घोषित करके पूजा करवाये, फिर भी बिना अदूैत परम तत्व को जाने वह खुद भवसागर से पार नहीं हो सकता ....

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment