धिक धिक मेरी पांचो इन्द्री, धिक धिक परो मेरी देह ।
श्री स्याम सुन्दर वर छोडके, संसारसों कियो सनेह ।।
मेरी पाँचों इन्द्रियोंको धिक्कार है, मेरे शरीरको भी धिक्कार है क्योंकि श्याम सुन्दर जैसे सर्वगुण सम्पन्न वर (परमात्मा) को छोड.कर इन्होंने इस कुटिल संसारसे स्नेह किया.
अर्थात सत्ये प्रमातमा को छोड के झूठे संसार से मोह किया... मानव देह मिला, सतगुरु परमात्मा मिले, संसार से प्रथक हो गये, इतनी कृपा तो करोड़ों जीवों में से किसी एक को भी नहीं मिलती। अत: क्षण-क्षण सावधान रहो..
प्रणाम जी
श्री स्याम सुन्दर वर छोडके, संसारसों कियो सनेह ।।
मेरी पाँचों इन्द्रियोंको धिक्कार है, मेरे शरीरको भी धिक्कार है क्योंकि श्याम सुन्दर जैसे सर्वगुण सम्पन्न वर (परमात्मा) को छोड.कर इन्होंने इस कुटिल संसारसे स्नेह किया.
अर्थात सत्ये प्रमातमा को छोड के झूठे संसार से मोह किया... मानव देह मिला, सतगुरु परमात्मा मिले, संसार से प्रथक हो गये, इतनी कृपा तो करोड़ों जीवों में से किसी एक को भी नहीं मिलती। अत: क्षण-क्षण सावधान रहो..
प्रणाम जी
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