Wednesday, September 30, 2015

जन्मदिवस

प्रणाम जी ...आप सबके प्रेम का आभार ..साथजी इस नश्वर शरीर की गणना पर क्या उल्लास मनाना यह शरीर मिटने वाला है अर्थात अस्त्ये है और अस्त्ये तो अस्त्ये है चाहे वो किसी भी गणना का हो और गणना तो हमेशा काल की की होती है अर्थात काल ने उसे कितना खाया गणना हमेशा यही होती है और बधाई अगर जीव या आत्म को है तो जीव तो न जाने कितने शरीर बदल चूका है उसकी क्या गणना करनी और जीव अनादि है उसका कभी जन्म नही हुआ फिर उसको क्या बधाई देना और आत्मा न जन्म लेती है न मरती है वह आनंद रूपा है वह बधाई बंधन से परे है उसका उल्लास परमात्मा है काल गणना नही इसलिए साथ जी मुझे जन्मदिन की बधाई देना न तो उचित लगता है और न ही मुझे इसमें कोई उल्लास नजर आता है हम सब आत्माओं का एक मात्र उल्लास परमात्मा है हमे उसी में उल्लास व विश्राम प्राप्त होता है शरीर तो मात्र साधन है जब तक ये चल रहा है ठीक है जब रुक जायेगा तो परमात्मा में विश्राम करेंगे अगर परमात्मा का हुकुम हुआ तो ऐसे और साधन भी ग्रहण करने पड सकते है इसलिए हमारा उल्लास एक मात्र हमारा अनादि अखंड अनंत आनंद वो एक मात्र साध्ये है न की ये नश्वर साधन..इसलिय मुझे जन्मदिवस कि बधाई देना उचित नही लगता अगर मुझे बधाई देना ही चाहते है तो मेरे लिय इतना कीजीय की बाहरी आवरण से नजर हटा कर दृष्टि आत्म ह्रदय में बैठे परमात्मा की तरफ करलो अगर कर चुके तो लक्षय मिल चुका होगा और अगर नही कीया तो विलंब ना करें एक क्षण का भी कयोंकी जो क्षण बीत गया वो कभी वापस नही आयगा इसलिय क्षण क्षण सावधान रहें..
सभी साथ के चरणों मे कोटी कोटी प्रेम प्रणाम जी

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