सुप्रभात जी
परमात्मा से प्रेम की सेना बहुत बड़ी है। जब यह अपने समर्पण रूपी मूल आयुध के साथ माया के ऊपर आक्रमण कर देती है, तो माया की कोई भी शक्ति उसे हरा (पकड़) नहीं सकती।
प्रेम आत्मा के ऊपर माया के किसी भी प्रभाव को आने नहीं देता। वह धनी के अतिरिक्त अन्य किसी को भी नहीं देखता अर्थात् हृदय में प्रेम आते ही परमात्मा के अतिरिक्त अन्य कुछ भी (शरीर, संसार) नहीं दिखायी देता... है। प्रेम सदा ही अपने साथ प्रियतम परमात्मा को रखता है...
प्रणाम जी
परमात्मा से प्रेम की सेना बहुत बड़ी है। जब यह अपने समर्पण रूपी मूल आयुध के साथ माया के ऊपर आक्रमण कर देती है, तो माया की कोई भी शक्ति उसे हरा (पकड़) नहीं सकती।
प्रेम आत्मा के ऊपर माया के किसी भी प्रभाव को आने नहीं देता। वह धनी के अतिरिक्त अन्य किसी को भी नहीं देखता अर्थात् हृदय में प्रेम आते ही परमात्मा के अतिरिक्त अन्य कुछ भी (शरीर, संसार) नहीं दिखायी देता... है। प्रेम सदा ही अपने साथ प्रियतम परमात्मा को रखता है...
प्रणाम जी
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