Thursday, September 17, 2015

तान तीखे ग्यान इलम के, दुन्द भमरियां अकल।
बहें पंथ पैंडे आड़े उलटे, झूठ अथाह मोह जल।।

यह झूठा अथाह मोहजल का सागर है, जिसमें शुष्क-शाब्दिक ज्ञान (इल्म) के तीखे बहाव हैं। निरर्थक तर्कों से भरी संशयात्मिका बुद्धि रुपी खतरनाक भंवरें हैं, जिनमें कभी भी डूबने का खतरा बना रहता है। इस मोहमयी भवसागर में सभी पन्थ पैंडे (सम्प्रदाय) में फस कर उल्टे और आड़े बहाव में बह रहे हैं...सत्य मार्ग पे चलने वाला कोइ बिरला ही जीव दिखने को मिलता है...

प्रणाम जी

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