Tuesday, September 22, 2015

आडम्बर

सुप्रभात जी

परब्रह्म की आत्मा इन पवित्र आत्माओं का दिल  अति पवित्र होता है। उनमें नाममात्र के लिये भी संशय जैसी कोई वस्तु नहीं होती है। वे ऊपर से किसी प्रकार का आडम्बर युक्त दिखावा नहीं करती। वे अपने दिल में अपने प्राणप्रियतम के अतिरिक्त अन्य किसी भी वस्तु को रंचमात्र भी नहीं बसाती।
हृदय में ज्ञान, भक्ति एवं विनम्रता से रहित व्यक्ति यदि मनोविकारों से ग्रसित रहे तथा मात्र अपनी धार्मिक वेशभूषा से सब पर अपना प्रभुत्व (रोब) दर्शाया करे, तो उसे आडम्बरी कहते हैं। ऐसे लोग बड़े-बड़े तिलक, माला, दाढ़ी या रंगे हुए वस्त्रों को ही धर्म का स्वरूप मानते हैं, जबकि वे धर्म के वास्तविक स्वरूप से कोशों दूर होते है।

प्रणाम जी

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