Monday, September 28, 2015

वाणी

रेहे ना सकों मैं रूहों बिना, रूहें रेहे ना सकें मुझ बिन।
जब पेहेचान होवे वाको, तब सहें ना बिछोहा खिन।।

मैं अपनी आत्माओं के बिना नहीं रह सकता तथा वे मेरे बिना नहीं रह सकती। जब आत्माओं को मेरे स्वरूप की पहचान हो जायेगी तो वे एक पल के लिये भी मेरा वियोग नहीं सहन कर सकती।
परमात्मा का यह कथन कि ‘मैं’ रूहों के बिना नहीं रह सकता, प्रेम की अभिव्यक्ति मात्र है। इसमें मानवीय अधीरता जैसी कोई बात नहीं है। सच तो यह है कि अक्षरातीत एक पल के लिये भी अपनी आत्माओं से न कभी अलग थे, न हैं और न होंगे।

प्रणाम जी

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