Wednesday, September 2, 2015

माया का फन्दा



तुम प्रत्यक्ष रुप से देखते हो कि यह माया का फन्दा है, फिर भी जान बूझकर यमराज के जाल में फंसते हो। जिन सगे-सम्बन्धियों और कुटुम्ब वालों के लिये तुम अपने को माया के बन्धनों में फंसाते हो, उनसे तुम्हारा कोई भी सच्चा सम्बन्ध नहीं है।  पूर्व जन्म के संस्कारों के आधार पर ही पारिवारिक सम्बन्ध बनते हैं। इन सम्बन्धों को शाश्वत मानकर सच्चिदानन्द परब्रह्म के प्रेम से विमुख हो जाना स्वयं को 84 लाख योनियों में भटकाना है। विवेकवान पुरुष परिवार में वैसे ही रहता है, जैसे किसी धर्मशाला (सराय) में रात गुजारी जाती है।अगर तुम अपनी शक्ति को समझो तो तुम बहोत बलवान हो..
तुम्हारे सामने केशरी सिंह की भी शक्ति क्या है ? वह तुम्हारे समान बलवान नहीं है। इस माया ने छल करके तुमको ठग लिया है। इसलिये अब इसकी चाल में मत फंसो।  जिसके पास बुद्धि और विवेक होता है, वही यथार्थ में बलशाली माना जाता है। सिंह के पास मात्र शारीरिक शक्ति है, किन्तु मनुष्य के पास ज्ञान, विवेक, वैराग्य, श्रेष्ठ बुद्धि, श्रद्धा और समर्पण का बल है, जिसके सामने माया कुछ नहीं कर सकती। यही कारण है कि मनुष्य को सिंह की अपेक्षा अधिक शक्तिशाली माना गया है। इसलिय अपनी शक्ति को पहचान कर माया को परास्त कर दो...

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment