Tuesday, December 15, 2015

सत्संग का प्रभाव लहू पर

सुप्रभात जी
सत्संग का प्रभाव लहू पर

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की डिलाबार प्रयोगशाला में एक प्रयोग बारंबार किया गया है और वह यह कि आपके अपने विचारों का प्रभाव तो आपके लहू पर पड़ता ही है परन्तु आपके विषय में शुभ अथवा अशुभ विचार करनेवाले अन्य लोगों का प्रभाव आपके लहू पर कैसा पड़ता है और आपके भीतर कैसे परिवर्तन होते हैं ? वैज्ञानिकों ने अपने दस वर्ष के परिश्रम के पश्चात निष्कर्ष निकाला कि:

"आपके लिए जिनके ह्रदय में मंगल भावना भरी हो, जो आपका उत्थान चाहता हो ऎसे व्यक्ति के संग में जब आप रहते हैं तब आपके प्रत्येक घन मि.मी. रक्त में १५०० श्वेतकणों का वर्धन एकाएक हो जाता है । इसके विपरीत आप जब किसी द्वेषपूर्ण अथवा दुष्ट विचरोंवाले व्यक्ति के पास जाते हो तब प्रत्येक घन मि.मी रक्त में १६०० श्वेतकण तत्काल घट जाते हैं ।" वैज्ञानिकों ने तुरन्त लहू-निरीक्षण उपरान्त यह निर्णय प्रकट किया है । जीवविज्ञान कहता है कि रक्त के श्वेतकण ही हमें रोगों से बचाते हैं और अपने आरोग्य की रक्षा करते हैं । वैज्ञानिकों को यह देखकर आश्चर्य हुआ कि शुभ विचारवाले, सबका हित चाहनेवाले, शुद्धह्रदय सज्ज्न पुरुषों में ऎसा क्या होता है कि जिनके सान्निध्य में आने से इतना परिवर्तन आ जाता है ? अपना योगविज्ञान तो पहले से जानता है परन्तु अब आधुनिक विज्ञान भी इसे सिद्ध करने लगा है ।

रक्त में जब इतना परिवर्तन होता है तब अन्य कितने अदृश्य एवं अज्ञात परिवर्तन होते होंगे जो कि विज्ञान के जानने में न आते हों ?

तो परमात्मा से ज्यादा हमारा मंगल कारी कौन हौ सकता है अगर उनको ह्रदय में धारण करें और निरंतर उनका संग करें तो जीव के कल्याण के साथ शरीर पर भी साकारात्मक व अद्दभुत प्रभाव रहेगा...
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

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