Sunday, December 27, 2015

अब हम धाम चलत है

अब हम धाम चलत है , तुम हूजो सबे हुसियार |
एक खिन की विलम्ब न कीजिये , जाये घरों करें करार ||

अब मैं अपने हृदये धाम में परमात्मा के साथ सदा  आनंद में रहता हुं मैं जिस आनंद को पाना चाहता  था वो मुझे मिल गया है ये वो परमलक्ष्ये है जिसको  पाने के लिए इस जीव ने न जाने कितने ही जन्म  लगा दिए ..अब वो मुझे मिल गया है इस आनंद  की व्याख्या मैं शब्दों में नही कर सकता बस इतना  कह सकता हूँ की रास में हमने जो आनंद लिया था  वो आधी नींद का आनंद था और वो आनंद जागृत  अवस्था से कम ही होता है और अब मैं जाग के  उसी विषय का आनंद ले रहा हूं इसे ही जागनी  लीला का आनंद कहते है  ..हे साथ जी आब आप  सब भी होशियार हो जाइये वो आनंद याने  परमात्मा आप सब का इंतजार कर रहा है उसको  अपनी बांहे भर के मिल लो वो हमारे आत्महृदये में  ही है उसके लिए हमे कहीं जाने की भी जरूरत  नही है ये आनंद रास से भी कहीं ज्यादा है .हे साथ  जी अब एक पल का भी विलम्ब मत करो क्योंकि  इस से पहले जितने भी जन्म गए है वो सारा  विलम्ब ही था बस अब और नही और कितना  दुःख भोगोगे यहाँ अब तो अपने आत्म ह्रदये रूपी  घर में परमात्मा रूपी आनंद में सदा के लिए स्थित  हो जाओ जहां  तुम्हे  हमेशा  के  लिए  आनंद  की  प्राप्ति हो जायगी तुम्हे अपना खोया हुआ करार  मिल जायेगा  ..
प्रणाम  जी

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