Wednesday, December 30, 2015

पलायन या उपयोग..

सुप्रभात जी

दो पडोसी राजा थे दोनो को समाचार मिला की एक असुर अपनी सेना लेकर उनके राजये की तरफ बढ रहा है और गुप्तचर ने शूचना दी की उनकी सेना मे सभी राक्षस बोहोत बलवान है उनसे जीतना बहोत मुशकिल है .. दोनो राजाओ ने युध्द करने का निर्णय लिया ..अब युध्द का समय आ गया उस राक्षस ने हमला बोल दिया फला राजा डर के जंगलो मे भाग गया दूसरा राजा डट कर मुकाबला करता रहा पर राक्षस की सेना बोहोत बलवान थी राजा भी बोहोत बहादुर था कयी दिन तक युध्द चला पर राक्षस की सेना मरने के कुछ समय बाद फिर से जिन्दा हो जाती थी ..एक दिन युध्द की सन्धया को राजा भवन मे बैठा उसे कुछ सूझ नही रहा था की रक्षस की सेना को केसे मारा जाये तभी राजगुरु ने बताया की अगर ये मर नही रहे हों तो इन्हे बन्दी बना लो राजा को विचार बहोत पसंद आया अगले दिन युध्द मे राजा ने राक्षस की सेना को एक एक करके बन्दी बनाना शुरु कर दिया धिरे धिरे पुरी सेना को बन्दी बना लिया व राजा ने उन सब राक्षसो को दास बना कर अपने सेवक बना लिये ..अब वो भागने वाला राजा भी वापस अपने राज्ये में  आ गया पर एक अजीब घटना घटी की लोग जीतने वाले राजा की बजाये भागने वाले राजा की जय जयकार कर रहे थे..?????
अब सार लेते हैं ..भागने वाला राजा वो है जो लोग संसार से पलायन कर माया की सेना से बच कर सन्यासी बन जाते है „ और युध्द करने वाला राजा वो है जो संसार मे रह के उस माया की सेना को अपना दास बना कर उनको साधन बना कर अपने लक्ष्य को पालेता है ..पर लोग यह भेद ना समझ पाने के कारण पलायन करने वाले साधुवो की जय जय कार करते है अर्थात उन से मुक्ति की आशा रखते है..
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

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