Saturday, December 19, 2015

आत्मा स्त्री है या पुरुष ??

सुप्रभात जी
आत्मा स्त्री है या पुरुष ??

कुछ यमय पहले पाकिस्तान से एक ब्रह्म मार्गी मित्र ने एक अत्यन्त महत्वपुर्ण प्रश्न किया था कि आत्मा स्त्री है या पुरुष ?? पर समय अभाव के कारण कुछ दिन का विलंब हो गया है जिसके लिय मैं क्षमा परार्थी हूं पर होता वही है जैसा परमात्मा का हुकुम होता है..इसलिय उनकी कृपा व हुकुम से ही यहां उत्तर देने का प्रयास किया जा रहा है कृप्या निर्विकार रूप में ग्रहण करें...
आत्मा स्त्री है या पुरुष ??

आत्मा ना स्त्री है ना पुरुष है लेकिन फिर भी आत्मा को स्त्री लिंग ही माना गाया है  कयोंकि आत्मा प्रमात्मा का अंश है और हमेशा अंशि को स्त्री लिंग के रुप मे देखा जाता है जैसे सुर्ये का अंश उसकि किरणे है तो सुर्ये को पुलिंग माना जाता है और किरणो को स्त्री लिंग इसी प्रकार सागर ओर उसकी लगहरें इसमे लहरे स्त्रीलिंग मानी गयी है कयोंकि वो अंशी है सागार की एक ओर उधाहरण लेते है जैसे वृक्ष की टहनिया , टहनियां स्त्री लिंग मानी जाती हैं  अतः हम कह सकते है की सवयं का अंग या सक्ति हमेशा स्त्री लिंग के रुप मे देखी जाती है जबकि वो वासतव मे स्त्री लिंग नही होती इसी प्रकार आत्माओं को स्त्रीलिंग के रुप मे देखा जाता है जबकी वो वासतव मे स्त्रीलिंग नही होती सत्ये तो यह है की लिंग शरीर ब्रह्मा जी की श्रिष्टि मे ही होता है कयोकी ब्रह्मा की श्रिष्टि का विस्तार माध्यम मैथुन है इसलिये लिंग शरीर की आवश्यकता होती है इस शरीर मे आशक्ति से ही विकार उतपन्न होते है याहां सबसे अहम बात यह है की हमने आज तक केवल लिंग शरीर के अलावा कोइ निर्विकार शरीर देखा नही है इसलिये हम मायातीत आतमाओ को भी अपनी विकार बुध्दि से लिंग शरीर के रुप मे ही देखते है ओर सबसे बडी गडबड तो ये है की हम जब अपने को आत्मा रुप मे ध्यान लगाते है तो खुद को स्त्रीलिंग के रुप मे ही देखते है कयोंकी ऐसा हमे सिखाया गया है जबकी सत्य तो यह है की लिंग शरीर कि कल्पना मे विकार विद्यमान रहते है ओर ऐसा शरीर लेके हम प्रमात्मा से नही मिल सकते कयोंकी केवल विकार ही हमारे और प्रमात्मा के बीच का परदा है ...इसलिय सत्य की गहनता का मंथन परम आवश्यक है..
इस प्रकार के और गहन मंथन आप मेरे blog पर पा सकते है..
Satsangwithparveen.blogspot.com

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment