Thursday, December 31, 2015

हम परमात्मा को किया अपना बादा भूल गये हैं..

तिन कबीले में रहना , पूजे  पानी  आग पत्थर।
बेसहूर  इन   भांत   के , जान  बूझ  जले  काफर।।

माया में हम यत्य को भूलकर असत्य या जड की उपासना करने लगे है जिसकारण हम सत्य से विमुख हो रहे हैं...इस माया में आने से पहले ही परमात्मा ने हमें माया से सावधान किया था ..पर हमने कहा था की हम अपने सत्य व चेतन परमात्मा को नही भूलेंगे पर हम परमात्मा को किया अपना बादा भूल गये हैं..

पुराण संहिता के इश्क़ रब्द के प्रसंग में अक्षरातीत परमात्मा कहते हैं-
फूल्ल पद्मम् सरः त्यक्त्वा मृगतृष्णाम् नु धावथः।
मामानन्दम् परित्यज्य पाषणम् पूजयिष्यथः।।
मेरे आनंद को छोड़कर तुम संसार में पत्थर की पूजा करोगे और
पुराण संहिता ग्रन्थ के अध्याय २३ में ..

पूर्ण ब्रह्म परमात्मा अपनी आत्माओं से कहते हैं,„

प्रकृति की लीला मोहित करने वाली तथा अपने अमृतमयी आनन्द रूपी दीवाल को स्याही की तरह काली करने वाली है, जहां केवल प्रवेश करने मात्र से अपनी बुद्धि नहीं रहती है ।।५६।।

पांच तत्वों से बने हुए शरीर को ही अपने आत्मिक रूप में माना जाता है, जिससे आत्मिक गुण तो छिप जाते हैं ।।५७।।

और उनकी जगह मोह जनित दोष पैदा हो जाते हैं । हे सखियों ! तुम वहां जाकर माया के ही कार्यों को करोगी । जिस माया में आत्मा के आनन्द को हरने वाली तृष्णा रूपी पिशाचनी है ।।५८।।

जहां काम, क्रोध, आदि छः शत्रु स्थित हैं, जो जीव को पाप में डूबोकर तथा क्रूर कर्म कराकर उसे बलहीन करके लूट लेते हैं ।।५९।।

वहां जाकर तुम यहां के अपने स्वाभाविक गुणों, सौन्दर्य और चतुरता के विपरीत हो जाओगी । मुझे तुम कहीं भी नहीं देखोगी और हमेशा ही मुझको भूली रहोगी ।।७८।।
इसी प्रकार का वर्णन नारद पञ्चरात्र के अन्तर्गत माहेश्वर तन्त्रम् में भी किया गया है । क़ुरआन में वर्णित 'अलस्तो विरब्ब कुंम' का कथन भी इसी ओर संकेत करता है

जड़ पूजा को वाणी तथा अन्य ग्रंथो में वर्जित  किया  गया है।
इसको अन्य उदाहरणों से समझें-
अंधतमः प्रविशन्ति ये सम्भूति उपासते.- यजुर्वेद
जो १ चेतन परमात्मा को छोड़कर जड़ की उपासना करता है, वह घोर अंधकार  में चला जाता है.

कबीर जी कहते हैं-
पत्थर पूजे हरी मिले तो मै पूजू पहाड़।।
वही हो रहा है।
आज ब्रम्हज्ञान के आने के बाद भी अगर हम जड़ की पूजा करते रहे तो तारतम ज्ञान लेने का कोई लाभ नहीं है.
इसलिए चेतन परमात्मा की उपासना करें।
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रेम प्रणाम जी

1 comment:

  1. प्रणाम जी
    क्या आप मुझे पुराण संहिता का लिंक दे सकते हैं। मैं इसे पढ़ना चाहता हूं

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