देखनको हम आए री दुनियां, हम ही कारण कियो ए संच ।
पार हमारो न्यारा नहीं, हम पार ही में बैठे देखे प्रपंच ।।
अर्थात् हे ब्रह्मात्माओं ! हम सभी नश्वर जगतका यह खेल देखनेके लिए सुरताके रूपमें यहाँ पर आई हैं । हमें दिखानेके लिए ही परमात्मा ने अक्षर ब्रह्मके द्वारा इस विशिष्ट खेलकी रचना करवायी है । किन्तु यह खेल देखते ही हम स्वयंको भी भूल गयीं और अपने परमात्मा भी भूल गयी । हमें यह लगने लगा कि हम तो आदि अनादि कालसे नश्वर जगतमें हैं और हमारे परमात्मा हमसे दूर अपने धाम परमधाममें हैं । जागृत होकर हमें समझना है कि वस्तुतः परमात्मा हमसे दूर नहीं हैं, हम तो उनके चरणोंमे बैठ कर ही मायाका यह प्रपंच देख रहे हैं ।
प्रणाम जी
पार हमारो न्यारा नहीं, हम पार ही में बैठे देखे प्रपंच ।।
अर्थात् हे ब्रह्मात्माओं ! हम सभी नश्वर जगतका यह खेल देखनेके लिए सुरताके रूपमें यहाँ पर आई हैं । हमें दिखानेके लिए ही परमात्मा ने अक्षर ब्रह्मके द्वारा इस विशिष्ट खेलकी रचना करवायी है । किन्तु यह खेल देखते ही हम स्वयंको भी भूल गयीं और अपने परमात्मा भी भूल गयी । हमें यह लगने लगा कि हम तो आदि अनादि कालसे नश्वर जगतमें हैं और हमारे परमात्मा हमसे दूर अपने धाम परमधाममें हैं । जागृत होकर हमें समझना है कि वस्तुतः परमात्मा हमसे दूर नहीं हैं, हम तो उनके चरणोंमे बैठ कर ही मायाका यह प्रपंच देख रहे हैं ।
प्रणाम जी
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