ए झूठी तुमको लग रही, तुम रहे झूठी लाग ।
ए झूठी अब उड. जायगी, दे जासी झूठा दाग ।।
(कलश हि. १२/११,१२)
स्वयंको समझदार कहलानेवाले लोगभी मायाके खेलमें भूलकर काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सरके कारण हृदयमें छल, कपट रखकर मात्र दिखानेके लिए अच्छा कार्य करते हैं । इसका कारण यही हैं कि मायाके जीव मायाके जीव मायाकी ओर ही आकृष्ट होते हैं । उन्हें यह भी पता है कि वे गलत कार्य रहे हैं, दंभ एवं आडम्बर दिखा रहे है फिर भी उसीमें मस्त हैं, जानते हुए भी गहरी खाईमें पड. रहे हैं । इसलिए ब्रह्मात्माओं यह झूठा खेल मिटने वाला तो है ही किन्तु तुम सत्य आत्मा भी मायाके झूठे प्रलोभनमें आकृष्ट हो जाओगी तो यह माया तुम्हें कलंकित करेगी । झूठ तो झूठ ही है वह एक दिन मिटेगा ही किन्तु तुम्हें कलंकित करके मिटेगा । इसलिए तुम व्यर्थमें क्यों कलंकित हो रहे हो, अब जागो और अपने कर्तव्यको समझो । तुम्हें दुनियांकी सम्पत्ति एवं सत्ता मिल भी जाएगी फिर भी सन्तोष तो नहीं होगा न ।
प्रणाम जी
ए झूठी अब उड. जायगी, दे जासी झूठा दाग ।।
(कलश हि. १२/११,१२)
स्वयंको समझदार कहलानेवाले लोगभी मायाके खेलमें भूलकर काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद एवं मत्सरके कारण हृदयमें छल, कपट रखकर मात्र दिखानेके लिए अच्छा कार्य करते हैं । इसका कारण यही हैं कि मायाके जीव मायाके जीव मायाकी ओर ही आकृष्ट होते हैं । उन्हें यह भी पता है कि वे गलत कार्य रहे हैं, दंभ एवं आडम्बर दिखा रहे है फिर भी उसीमें मस्त हैं, जानते हुए भी गहरी खाईमें पड. रहे हैं । इसलिए ब्रह्मात्माओं यह झूठा खेल मिटने वाला तो है ही किन्तु तुम सत्य आत्मा भी मायाके झूठे प्रलोभनमें आकृष्ट हो जाओगी तो यह माया तुम्हें कलंकित करेगी । झूठ तो झूठ ही है वह एक दिन मिटेगा ही किन्तु तुम्हें कलंकित करके मिटेगा । इसलिए तुम व्यर्थमें क्यों कलंकित हो रहे हो, अब जागो और अपने कर्तव्यको समझो । तुम्हें दुनियांकी सम्पत्ति एवं सत्ता मिल भी जाएगी फिर भी सन्तोष तो नहीं होगा न ।
प्रणाम जी
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