साधक का प्रश्न: Hum to choti choti bato se chinta karte h fir shaswat aanand me Koi kaise rah sakta h??
उत्तर-- विष पीकर कहते हो की दूध का स्वाद नही मिल रहा ये जीव विकारो से बना है और विकार दुःख का कारण है आनंद का नही इसलिए जब तक जीव भाव में रहोगे आनंद कैसे मिलेगा..आनंद का विषय तो आत्मा और परमात्मा है ,,
जिस प्रकार मान प्रतिष्ठा पाने के लिए हम प्रतिष्ठित लोगो का संग करते है जैसे प्रतिष्ठा के किये लोग नेताओं के संग संग घूमतें है..उसी प्रकार हमारी आत्मा सदेव शास्वत आनंद में रहती है तो हमें भी आनंद के लिय आत्म भाव का संग करने का अभ्यास करना चाहिए ..जितना आत्म भाव आएगा उतना आनंद आएगा क्योंकि आत्मा आनंद (परमात्मा) का अंश है और सदेव आनंदित है..
प्रणाम जी
उत्तर-- विष पीकर कहते हो की दूध का स्वाद नही मिल रहा ये जीव विकारो से बना है और विकार दुःख का कारण है आनंद का नही इसलिए जब तक जीव भाव में रहोगे आनंद कैसे मिलेगा..आनंद का विषय तो आत्मा और परमात्मा है ,,
जिस प्रकार मान प्रतिष्ठा पाने के लिए हम प्रतिष्ठित लोगो का संग करते है जैसे प्रतिष्ठा के किये लोग नेताओं के संग संग घूमतें है..उसी प्रकार हमारी आत्मा सदेव शास्वत आनंद में रहती है तो हमें भी आनंद के लिय आत्म भाव का संग करने का अभ्यास करना चाहिए ..जितना आत्म भाव आएगा उतना आनंद आएगा क्योंकि आत्मा आनंद (परमात्मा) का अंश है और सदेव आनंदित है..
प्रणाम जी
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