याही ठौर रूहें बसत, रात दिन रहें सनकूल।
हक अरस मोमिन दिल, तिन निमख न पडे भूल।।
अपनें ही हृदय में ब्रह्मआत्माएँ रात-दिन आनंद अनुभव करतीं हैं. क्योंकि ब्रह्मआत्माओंका हृदय ही परमात्मा का परमधाम है. इसलिए उनसे लेशमात्र भी भूल नहीं हो सकती है कि वे परमात्मा से दूर हो जाएँ ...
प्रणाम जी
हक अरस मोमिन दिल, तिन निमख न पडे भूल।।
अपनें ही हृदय में ब्रह्मआत्माएँ रात-दिन आनंद अनुभव करतीं हैं. क्योंकि ब्रह्मआत्माओंका हृदय ही परमात्मा का परमधाम है. इसलिए उनसे लेशमात्र भी भूल नहीं हो सकती है कि वे परमात्मा से दूर हो जाएँ ...
प्रणाम जी
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