Wednesday, October 7, 2015

हकें अरस किया दिल मोमिन, सो मता आया हक दिल से।
तुमें ऐसी बडाई हकें लिखी, हाए हाए मोमिन गल ना गए इनमें ।।

परमात्मा ने ब्रह्मात्माओंके हृदयको परमधाम बनाया है. यह तारतम ज्ञाानरूपी सम्पदा भी उनके ही हृदयसे आई है. स्वयं परमात्मा तुम्हारी इतनी बडी प्रशंसा की है तथापि खेद है कि ब्रह्मात्माओंका हृदय द्रवित नहीं हो रहा है.

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment