कुली दज्जाल अंधेर सरूपे, त्रिगुन को पाडे
त्रास।
सूर सिरोमन साध संग्रामें, पीछे पटक किए निरास।।
कलियुग रूपी यह शैतान अज्ञान का ही स्वरूप है, जिसने ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव को भी भयभीत कर रखा है। ज्ञान, भक्ति तथा वैराग्य के क्षेत्र में अग्रगण्य शिरोमणि महात्माओं को भी इसने मायावी युद्ध में हराकर निराश कर दिया।
यहां कलियुग से तात्पर्य उस मोहसागर से है, जिसे कोई पार नहीं कर पाता। सृष्टिकर्ता आदिनारायण भी जब इसके बन्धन में हैं तो उनके अंश से उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव जी का इससे भयभीत रहना स्वाभाविक ही है। महानारायण उपनिषद् में कहा गया है कि उनके रोम-रोम में चौदह लोकों सहित असंख्यों ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव स्थित है
प्रणाम जी
त्रास।
सूर सिरोमन साध संग्रामें, पीछे पटक किए निरास।।
कलियुग रूपी यह शैतान अज्ञान का ही स्वरूप है, जिसने ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव को भी भयभीत कर रखा है। ज्ञान, भक्ति तथा वैराग्य के क्षेत्र में अग्रगण्य शिरोमणि महात्माओं को भी इसने मायावी युद्ध में हराकर निराश कर दिया।
यहां कलियुग से तात्पर्य उस मोहसागर से है, जिसे कोई पार नहीं कर पाता। सृष्टिकर्ता आदिनारायण भी जब इसके बन्धन में हैं तो उनके अंश से उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव जी का इससे भयभीत रहना स्वाभाविक ही है। महानारायण उपनिषद् में कहा गया है कि उनके रोम-रोम में चौदह लोकों सहित असंख्यों ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव स्थित है
प्रणाम जी
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