Sunday, October 4, 2015

अंदर हृदय की गहराई में खोज!

सुप्रभात जी

हे मानव!परमात्मा के स्वर्णिम पुष्प! सच्चे सुख को, आत्मा के आनंद को अपने अंदर हृदय की गहराई में खोज! वहां प्राप्त कर। अनंतता में प्रवेश का द्वार तेरा हृदय है। तत्पश्चात् दूसरों में, जगत में अनुभव करना संभव होगा। बाह्य सत्ता के पीछे हट कर भीतर पैठ। मन के उस पार जा । इंद्रियों से ऊपर उठ प्रकृति से अपने आपको पृथक कर। शांत-चित्त, एकाग्र मन होकर बैठ। पूर्ण निष्क्रिय, पूर्ण नीरव हो जा। कल्पना और संकल्प महान शक्तियां हैं। इनका प्रयोग कर। तुझे पथ मिलेगा, प्रकाश दिखायी देगा। धैयपूर्वक नियमित रूप से अभ्यास कर ।

प्रणाम जी

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