बुल्लाह पढ़ पढ़ अलम फाज़ल होया ,
कदे अपने आप नु पढ़या ही नई..
पज पज वरद दा ए मंदिर मसेति ,
कदे मन्न अपने विच वरदएया ही नई...
किंवए रोज़ शैतान णाल लारदाए,
कदे नफ़्ज़ अपने नाल लरएया ही नई...
बुलेषाह आसमानीया उड़दी या फरहंए,
जेहरा घर बैठा ओहनु फडेया ही नई....
कदे अपने आप नु पढ़या ही नई..
पज पज वरद दा ए मंदिर मसेति ,
कदे मन्न अपने विच वरदएया ही नई...
किंवए रोज़ शैतान णाल लारदाए,
कदे नफ़्ज़ अपने नाल लरएया ही नई...
बुलेषाह आसमानीया उड़दी या फरहंए,
जेहरा घर बैठा ओहनु फडेया ही नई....
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