Thursday, January 14, 2016

हम सब आत्मांऐं उस परमात्मा के सनातन अंश हैं.

सुप्रभात जी

हम सब आत्मांऐं उस परमात्मा के सनातन अंश हैं.
 यह आत्मा परमात्मा से विमुख है, इस कारण माया के आधीन है.
मायाधीन होने के कारण ही आत्मा को दुःख, क्लेश, अशांति आदि माया के विकार दिखते हैं.
वह परमात्मा इस माया का, साथ ही आत्मा का भी स्वामी है, माया और जीव उनकी शक्तियाँ हैं.
उस परमात्मा को जानकर ही यह जीव इस माया से उत्तीर्ण हो सकता है.
समस्त 84 लाख प्रकार के शरीरों में केवल मानव देह में ही यह ज्ञान संभव है.
ज्ञानप्रधानता मानव देह की सर्वदेहप्रमुख विशेषता है, किन्तु क्षणभंगुरता एक बड़ा दोष भी.
उस परमात्मा को शीघ्र ही जानना होगा, अगर मृत्यु से पहले नहीं जाना तो शास्त्रानुसार बहुत बड़ी हानि हो जायेगी.
परमात्मा को जानने और पाने के अलावा माया निवृत्ति का और कोई मार्ग नहीं है...

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment