सुप्रभात जी
हमने इस खेल में आकर के दो दो बड़ी भूले की है ।एक भूल तो हमने अपने परमात्मा की गुह्यतम बातो को इस संसार में शब्दो में प्रकट कर दिया ,और दूसरी भूल परमात्मा के बुलाने पर भी इस नस्वर संसार को अपने दिल से नहीं हटाया याने परमात्मा के अखंड तारतमग्यान को समजकर भी अपने धाम ह्रदय में अपने परमात्मा को बसा ना सके ।इस प्रकार की इन दोनों भूलो में से किसी एक को भी संसार में कोई नहीं कर सकता,जबकि हमने जानबुझ कर ये दो दो भूले एक साथ की है ।
हम परमधाम की ब्रह्मस्रुस्टिया कही जाती है,इसलिए हमसे इतनी बड़ी भूल नहीं होनी चाहिए ।
हमें पता है की परमात्मा ने हमें अपने घर की याद दिलाने के कई उपाय किये है,पर हम ही ऐसे निष्ठुर हो गए है की परमात्मा के अखंड सुख को भूलकर माया में फसे जा रहे है ।
एक चोपाई आती है -
धनी ने धन बोहोत दिया,पर लिया ना हरामखोर ।।
परमात्मा ने तो श्री तारतम के माध्यम से परमधाम का सारा खजाना खोल दिया है और साथ में ब्रह्ममुनियों के माध्यम से उसे सरल भी बना दिया,पर हम इस संसार के कार्यो में से ना निकलकर उस अखंड सुख को खोये जा रहे है ।अब तो समय भी हमसे हार गया है ।पर हम ही ऐसे निष्ठुर हो गए है की समय के साथ भी नहीं चलते |
प्रणाम जी
हमने इस खेल में आकर के दो दो बड़ी भूले की है ।एक भूल तो हमने अपने परमात्मा की गुह्यतम बातो को इस संसार में शब्दो में प्रकट कर दिया ,और दूसरी भूल परमात्मा के बुलाने पर भी इस नस्वर संसार को अपने दिल से नहीं हटाया याने परमात्मा के अखंड तारतमग्यान को समजकर भी अपने धाम ह्रदय में अपने परमात्मा को बसा ना सके ।इस प्रकार की इन दोनों भूलो में से किसी एक को भी संसार में कोई नहीं कर सकता,जबकि हमने जानबुझ कर ये दो दो भूले एक साथ की है ।
हम परमधाम की ब्रह्मस्रुस्टिया कही जाती है,इसलिए हमसे इतनी बड़ी भूल नहीं होनी चाहिए ।
हमें पता है की परमात्मा ने हमें अपने घर की याद दिलाने के कई उपाय किये है,पर हम ही ऐसे निष्ठुर हो गए है की परमात्मा के अखंड सुख को भूलकर माया में फसे जा रहे है ।
एक चोपाई आती है -
धनी ने धन बोहोत दिया,पर लिया ना हरामखोर ।।
परमात्मा ने तो श्री तारतम के माध्यम से परमधाम का सारा खजाना खोल दिया है और साथ में ब्रह्ममुनियों के माध्यम से उसे सरल भी बना दिया,पर हम इस संसार के कार्यो में से ना निकलकर उस अखंड सुख को खोये जा रहे है ।अब तो समय भी हमसे हार गया है ।पर हम ही ऐसे निष्ठुर हो गए है की समय के साथ भी नहीं चलते |
प्रणाम जी
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