सुप्रभात जी
परमात्मा ने आपको स्वतंत्रता दे रखी है आप परमात्मा को मानें या न मानें।
ऐसे परमात्मा को छौडकर अन्य देवी-देवताओं के चक्कर में न पडें।अपना कल्याण चाहने वाले सभी लोग केवल एक परमात्मा के हो जाएँ।होसकता है कि अन्य देवी-देवता आपकी अच्छी-बुरी सभी कामनाएँ पूरी कर सकते हों पर ये आपको अपने वास्तविक लक्ष्य अखंड आंनदप्राप्ती से दूर कर देते हैं।इनकी इच्छा तो निरंतर अपने में ही लगाए रखने की होती है।मतलब ये है कि आप जिस भी देवी-देवता का आप पूजन करते हैं वो ये विल्कुल नहीं चाहता कि उसे छौडकर व्यक्ति किसी अन्य देवता के पास जाएं।खास बात ये है कि ये आपके दुख को स्थाई रूप से नहीं मिटा सकते।ये तो आपके ही कर्मो के फल को आगे पीछे करके कुछ दिन के लिए तात्कालिक एवं क्षणिक सुख या भोग की प्रतीती करा सकते हैं।ये आपको अनुकूल परिस्थिति अपनी तरफ से उपहार में नहीं दे सकते।ये इनके अधिकार में नहीं होता और न ही ये आपके पापकर्मो के फल को नष्ट ही कर सकते।इसके लिए तो आपको परमात्मा का ध्यान स्मरण ही करना होगा।जैसे हजारों वर्षो का अंधकार दीपक जलाते ही एक क्षण में दूर हो जाता है ठीक वैसे ही आपके जन्म-जन्मांतर के पापकर्म ध्यान और स्मरण से तत्काल नष्ट हो जाते हैं।अतः परमात्मा में लगे रहें।
प्रणाम जी
परमात्मा ने आपको स्वतंत्रता दे रखी है आप परमात्मा को मानें या न मानें।
ऐसे परमात्मा को छौडकर अन्य देवी-देवताओं के चक्कर में न पडें।अपना कल्याण चाहने वाले सभी लोग केवल एक परमात्मा के हो जाएँ।होसकता है कि अन्य देवी-देवता आपकी अच्छी-बुरी सभी कामनाएँ पूरी कर सकते हों पर ये आपको अपने वास्तविक लक्ष्य अखंड आंनदप्राप्ती से दूर कर देते हैं।इनकी इच्छा तो निरंतर अपने में ही लगाए रखने की होती है।मतलब ये है कि आप जिस भी देवी-देवता का आप पूजन करते हैं वो ये विल्कुल नहीं चाहता कि उसे छौडकर व्यक्ति किसी अन्य देवता के पास जाएं।खास बात ये है कि ये आपके दुख को स्थाई रूप से नहीं मिटा सकते।ये तो आपके ही कर्मो के फल को आगे पीछे करके कुछ दिन के लिए तात्कालिक एवं क्षणिक सुख या भोग की प्रतीती करा सकते हैं।ये आपको अनुकूल परिस्थिति अपनी तरफ से उपहार में नहीं दे सकते।ये इनके अधिकार में नहीं होता और न ही ये आपके पापकर्मो के फल को नष्ट ही कर सकते।इसके लिए तो आपको परमात्मा का ध्यान स्मरण ही करना होगा।जैसे हजारों वर्षो का अंधकार दीपक जलाते ही एक क्षण में दूर हो जाता है ठीक वैसे ही आपके जन्म-जन्मांतर के पापकर्म ध्यान और स्मरण से तत्काल नष्ट हो जाते हैं।अतः परमात्मा में लगे रहें।
प्रणाम जी
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