Friday, July 17, 2015

वाणी

उल्टा एक चलत हों यामे ,मैं छोड़ी दुनिया की राह |
तोड़ी मरजाद बिगड़या विश्व थें ,मैं तो पतितों को पातसाह ||

(वाणी मेरे पीयू की )

वाणी को सिर्फ महामति से जोड़कर देखना सही नही होगा ..वाणी की हर चौपाई हम सब से सम्बन्ध रखती है ये सिर्फ महामति जी के जीवन से ही सम्बन्ध नही रखती अपितु हम सब की ही है और हमारे ही लिए है ये हमारा ही भूत वर्तमान और भविष्ये है ..

जबसे मेने दुनिया के कर्म कांड ,भूदेव वाद ,नाम जाप , व् अन्ये क्रियाएँ छोड़ी हैं दुनिया वाले मुझे कहने लगे है की ये तो उल्टा चलने लगा ह..

मेने सारी जड़ पूजा छोड़ के एक मात्र चेतन ब्रह्म को अपने ह्रदये में धारण किया है ..अब उस ब्रह्म ही मेरी सारी रीती प्रीति को बदल दिया है ये या तो मै जनता हु या वो ..इसे ये दुनिया वाले नही जान पाएंगे इसलिए इनकी नजर में पतित हूँ ..

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment