* ध्यान करते समय परमात्मा में डूब जाना चाहिए , ऊपर तैरने से क्या पानी के नीचे बाले लाल मिल सकते हैं ?
* कछुआ रहता तो पानी में है , पर उसका मन रहता है किनारे पर , जहाँ उसके अंडे रखे रहते हैं । संसार का काम करो पर मन रखो परमात्मा में ।
* हाथों में तेल लगाकर कटहल काटना चाहिये । अन्यथा हाथों में उसका दूध चिपक जाता है । भगवद्भक्ति रुपी तेल हाथों में लगाकर संसार रुपी कटहल के लिये हाथ बढ़ाओ ।
* कभी-कभी साधुओं का संग करना चाहिये और कभी-कभी निर्जन स्थान में परमात्मा का स्मरण और विचार ।
* तराजू में किसी ओर कुछ रख देने से नीचे की सुई और ऊपर की सुई दोनों बराबर नहीं रहतीं । नीचे की सुई मन है और ऊपर की सुई परमात्मा । नीचे की सुई और ऊपर की सुई का एक होना ही योग है ।
* जो मनुष्य सर्बदा परमात्मा चिंतन करता है वही जान सकता है कि उनका स्वरुप क्या है ? दूसरे लोग केवल बाद-बिवाद करके कष्ट उठाते हैं ।
* सत्यवादिता कलियुग का तप है ।
* भक्ति भगवान को उतनी ही प्रिय है जितनी बैल को सानी ।
* जिन्हे चैतन्य हुआ है , वे पाप-पुण्य के पार चले गये हैं । वे देखते हैं , परमात्मा ही सब कुछ कर रहा है ।
* आम पर छिलका है इसलिये आम बढ़ता और पकता है । आम जब तैयार हो जाता है उस समय छिलका फेंक देना पड़ता है । इसी प्रकार माया रुपी छिलका रहने पर ही धीरे-धीरे ब्रह्मज्ञान होता है
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