Friday, July 24, 2015

कामना

कामना अटैचमेन्ट के कारण होती है। और अटैचमेन्ट उस वस्तु में बार-बार सुख के चिन्तन से होता है..

तो सिधी सी बात है सुख का चिंतन केवल पुर्ण ब्रह्म प्रमातमा का करो ..जब किसी भी संसारिक वस्तु मे सुख दिखे तो सिर्फ इतना सोचो की इस वस्तु मे इतना सुख है तो उस प्रमातमा मे कितना सुख होगा जेसने ऐसी अनंत वसतुयें बनाईं  है..

केवल इतना करने से चिंतन की दिशा बदल जायेगी और आपकी दशा बदल जायेगी.
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

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