सुप्रभात जी
विचार का निरूपण सुनिये ।
जब हृदय शुद्ध होता है तब जो विचार होता है वो कल्याणकारी होता है ,और शास्त्रार्थ के विचार द्वारा बुद्धि तीक्ष्ण होती है । अशुद्ध हृदय से विचार मे अज्ञानवन में आपदारूपी बेलि की उत्पत्ति होती है उसको शुद्ध विचाररूपी खंग से जब काटोगे तब शान्त आत्मा होगे । मोह जीव के हृदयकमल का खण्ड-खण्ड कर डालता है।
प्रथम बल, दूसरे बुद्धि, तीसरे तेज चतुर्थ पदार्थ आगमन और पञ्चम पदार्थ की प्राप्ति इन पाँचों की प्राप्ति विचार से होती है |
अर्थात् इन्द्रियों का जीतना, बुद्धि आत्मव्यापिनी और तेज, पदार्थ का आगमन इनकी प्राप्ति विचार से होती है । जिस पुरुष ने शुद्ध विचार का आश्रय लिया है वह विचार की दृढ़ता से जिसकी वाच्छा करता है उसको पाता है । इससे विचार इसका परम मित्र है । शुद्ध विचारवान् पुरुष आपदा में नहीं फँसता । जैसे तुम्बी जल में नहीं डूबती वैसे ही वह आपदा में नहीं डूबता । वह जो कुछ करता है विचार संयुक्त करता है और विचार संयुक्त ही देता लेता है । उसकी सब क्रिया सिद्धता का कारण होती है । और धर्म, अर्थ, काम मोक्ष विचार की दृढ़ता से ही सिद्ध होते हैं ।
विचार रूपी कल्प वृक्ष में जिसका अभ्यास होता है सोई पदार्थों की सिद्धि को पाता है ।
शुद्ध ब्रह्म का विचार ग्रहण करके आत्मज्ञान को प्राप्त हो जाओ ।
प्रणाम जी
विचार का निरूपण सुनिये ।
जब हृदय शुद्ध होता है तब जो विचार होता है वो कल्याणकारी होता है ,और शास्त्रार्थ के विचार द्वारा बुद्धि तीक्ष्ण होती है । अशुद्ध हृदय से विचार मे अज्ञानवन में आपदारूपी बेलि की उत्पत्ति होती है उसको शुद्ध विचाररूपी खंग से जब काटोगे तब शान्त आत्मा होगे । मोह जीव के हृदयकमल का खण्ड-खण्ड कर डालता है।
प्रथम बल, दूसरे बुद्धि, तीसरे तेज चतुर्थ पदार्थ आगमन और पञ्चम पदार्थ की प्राप्ति इन पाँचों की प्राप्ति विचार से होती है |
अर्थात् इन्द्रियों का जीतना, बुद्धि आत्मव्यापिनी और तेज, पदार्थ का आगमन इनकी प्राप्ति विचार से होती है । जिस पुरुष ने शुद्ध विचार का आश्रय लिया है वह विचार की दृढ़ता से जिसकी वाच्छा करता है उसको पाता है । इससे विचार इसका परम मित्र है । शुद्ध विचारवान् पुरुष आपदा में नहीं फँसता । जैसे तुम्बी जल में नहीं डूबती वैसे ही वह आपदा में नहीं डूबता । वह जो कुछ करता है विचार संयुक्त करता है और विचार संयुक्त ही देता लेता है । उसकी सब क्रिया सिद्धता का कारण होती है । और धर्म, अर्थ, काम मोक्ष विचार की दृढ़ता से ही सिद्ध होते हैं ।
विचार रूपी कल्प वृक्ष में जिसका अभ्यास होता है सोई पदार्थों की सिद्धि को पाता है ।
शुद्ध ब्रह्म का विचार ग्रहण करके आत्मज्ञान को प्राप्त हो जाओ ।
प्रणाम जी
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