Saturday, July 18, 2015

दुख कया है

दुखकी प्यारी प्यारी पीउकी, तुम पूछो वेद पुरान ।
ए दुख मोहिको भला, जो देत हैं अपनी जान ॥ कि. १६/६
(वाणी मेरे पीयु की)

यांहां सांसारीक दुख की बात नही की गयी है..प्रश्न उठता है की परमात्मा को चाहने  वालों के लिए दुःख क्या है ??
सांसारिक दुःख या परमात्मा से अलग होना?  ..कोई भी इस बात को आसानी से समझ सकता है की जब कामना पूरी नही होती तो अपार दुःख होता है ..ओर जब सांसारिक प्रेम पूरा नही होता तो संसार के प्रेमी प्राण देने व् लेने को भी तयार हो जाते है ..
इसलिए परमात्मा को चाहने वालो के लिए सबसे बड़ा दुःख उस से न मिल पाना है या दूर रहना है ..इसलिए कहा गया है की जिसको ये दुःख लग जाता है वो परमात्मा की सबसे प्यारी आत्मा होती है ..उसे ये दुःख परमात्मा ही देते है अर्थात परमात्मा के विरह मे रोना ये हमारे बस की बात नही है ये प्रेम वो ही हमारे हृदये में उतपन्न करते है ..इसलिए ये दुख मुझे बोहोत प्रिये है क्योंकि ये उन्होंने मुझे अपना मान के दिया है ...
इसलिए सब वेद पुराणो में परमात्मा के प्रेम को ही उनसे मिलने का श्रेष्ठ मार्ग माना है ..
(पुरे परकरण में दो दुखों को बताया है ..आत्म और जीव)

Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

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