भगवान और प्रमातमा मे कया भेद है ????
भगवान माहापुरुष को कहते हैं , जो जीव श्रेष्टता को प्राप्त कर लेता है तो उसे भगवान कहते हैं.. हीन्दु धर्म ग्रन्थो मे लिखा है की जिसने शठ ऐशवर्य को पा लिया है वो भगवान हो जाता है और ये शठ ऐशवर्य हैं-
१ ग्यान
२ विवेक
३ शक्ति
४ वैराग्य
५ सत्ये
६ सौन्द्रय
भगवान अनेक होते है जेसे विष्णु भगवान पर परमात्मा एक ही है वही सबका स्वामी है सभी भगवान उसका ही ध्यान करतें हैं परमात्मा कौन है ये गीता में बताया गया है ....
(भगवत गीता अध्याय १५ - स्लोक १६ तीन पुरुष का वर्णन )
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च क्षर: सर्वाणि भूतानि कुटस्थो अक्षर उच्यते। उत्तम: पुरुषस्त्त्वन्य: परमात्मेत्युदाह्रत:।
इस बिराट ब्रह्माण्ड मे क्षर नाशवान और अविनाशी अनादि अक्षर दो पुरुष हैं । सम्पूर्ण भूतप्राणियों सहित नारायण पर्यन्त के लोकालोक सभी नाशवान हैं, और अक्षर पुरुष जो नारायण के रचयिता है, वे अविनाशी है । इस से आगे एक अन्य परमपुरुष अक्षरातीत है, उन्हीं को ही "परमात्मा" कहा जाता है।
satsangwithparveen.blogspot.in
प्रणाम जी
भगवान माहापुरुष को कहते हैं , जो जीव श्रेष्टता को प्राप्त कर लेता है तो उसे भगवान कहते हैं.. हीन्दु धर्म ग्रन्थो मे लिखा है की जिसने शठ ऐशवर्य को पा लिया है वो भगवान हो जाता है और ये शठ ऐशवर्य हैं-
१ ग्यान
२ विवेक
३ शक्ति
४ वैराग्य
५ सत्ये
६ सौन्द्रय
भगवान अनेक होते है जेसे विष्णु भगवान पर परमात्मा एक ही है वही सबका स्वामी है सभी भगवान उसका ही ध्यान करतें हैं परमात्मा कौन है ये गीता में बताया गया है ....
(भगवत गीता अध्याय १५ - स्लोक १६ तीन पुरुष का वर्णन )
द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च क्षर: सर्वाणि भूतानि कुटस्थो अक्षर उच्यते। उत्तम: पुरुषस्त्त्वन्य: परमात्मेत्युदाह्रत:।
इस बिराट ब्रह्माण्ड मे क्षर नाशवान और अविनाशी अनादि अक्षर दो पुरुष हैं । सम्पूर्ण भूतप्राणियों सहित नारायण पर्यन्त के लोकालोक सभी नाशवान हैं, और अक्षर पुरुष जो नारायण के रचयिता है, वे अविनाशी है । इस से आगे एक अन्य परमपुरुष अक्षरातीत है, उन्हीं को ही "परमात्मा" कहा जाता है।
satsangwithparveen.blogspot.in
प्रणाम जी
No comments:
Post a Comment