Thursday, July 16, 2015

जीव को सीख

अरे मूर्ख जीव ! अब भी सम्भल जा, होश में आजा तथा प्रमात्मा के चरणो में प्रेम कर ले व उस आनंद स्वरूप ब्रह्म का ध्यान करले और अपना हित कर लें ।
पैदा होने के बाद बचपन तो तूने खेलकूद में, युवावस्था धन बटोरने तथा विषय भोगने में नष्ट कर दी और अब जब बुढ़ापा आ चुका है या आने वाला है तब भी तुझे अपने कल्याण की फिक्र नही है जो अब भी इन स्वार्थी संसार वालो से आसक्ति बढ़ाये जा रहा है !!
भगवत्कृपा से प्राप्त यह अमूल्य मानव देह तुझे सहज ही मिल गई है, इसका महत्व ना समझते हुए, तू ! इसको नश्वर संसार के पीछे नष्ट करने पर तुला हुआ है!!
पूर्व जन्मो में जो तूने भगवद्भजन किया उसके परिणामस्वरूप तुझे सतसंग  आदि दिया और उन परम कृपालु परमात्मा ने तुझे तारतम का उपदेश देकर  तेरे हृदय में जो ग्यान और प्रेम का बीज डाला था उसका भी तूने महत्व नही समझा और अब कालरूपी चिड़िया तेरे जीवनरूपी खेत में से वह बीज भी तेजी से चुगती जा रही है ।
जो जीव इस प्रकार अपने ही हाथो अपने पाॅव पर कुल्हाड़ी मारने पर तुले हुऐ है, उनकी गति तो बस मृत्यु पश्चात प्रेतयोनि में जाकर दारुण दुःख भोगना ही हैं ।

इसलिय बिना समय व्यर्थ किय अतीशिर्घ परमात्मा को जानकर उसके ध्यान में डूब जाओ ...

(निरंतर ऐसे ही सतसंग से जुडने के लिय follow करें satsangwithparveen.blogspot.in)

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment