मैं तो बीच नाही के ,मोहे खेल देखाया जड़ मूल |
ताथे जानो जो करो ,सर्मिंदी या सन्कुल ||
( वाणी मेरे पियु की )
मै तो आपके आदेश अनुसार इस झूठे संसार में बैठी हुई हूँ | यहाँ सब झूठी ही बातें करते रहते है |
वेसे मुजे यहाँ सब अजीब लगता है | लेकिन क्या करूं आपका आदेश है तो मुझे यहाँ रहना ही पड़ेगा |
मुझे ये जड़ मूल का खेल भी आपने ही दिखाया है इसलिए आपकी हर बात सर आँखों पर | मुझे इसके
बारे में आपसे कोई शिकायत नही करनी मुझे हर हाल में आपके आदेश का पालन करना है अब
आप की मर्जी है जेसा चाहे इस संसार में मुझे खेल दिखावो | चाहे वो मेरे सन्कुल हो या मेरे लिए शर्मिंदगी
वाला हो |आप जो भी दिखावो गे मुझे मंजूर है बस इतना समझ लो की मेरा अब यहाँ मन नही लगता
आपका आदेश है इसलिए यहाँ हु | बस यही आस है की कब आपका मन मुझसे मिलने का करेगा
और कब आप मुझे यहाँ इस झूठे संसार से बुला लोगे ...
प्रणाम जी
ताथे जानो जो करो ,सर्मिंदी या सन्कुल ||
( वाणी मेरे पियु की )
मै तो आपके आदेश अनुसार इस झूठे संसार में बैठी हुई हूँ | यहाँ सब झूठी ही बातें करते रहते है |
वेसे मुजे यहाँ सब अजीब लगता है | लेकिन क्या करूं आपका आदेश है तो मुझे यहाँ रहना ही पड़ेगा |
मुझे ये जड़ मूल का खेल भी आपने ही दिखाया है इसलिए आपकी हर बात सर आँखों पर | मुझे इसके
बारे में आपसे कोई शिकायत नही करनी मुझे हर हाल में आपके आदेश का पालन करना है अब
आप की मर्जी है जेसा चाहे इस संसार में मुझे खेल दिखावो | चाहे वो मेरे सन्कुल हो या मेरे लिए शर्मिंदगी
वाला हो |आप जो भी दिखावो गे मुझे मंजूर है बस इतना समझ लो की मेरा अब यहाँ मन नही लगता
आपका आदेश है इसलिए यहाँ हु | बस यही आस है की कब आपका मन मुझसे मिलने का करेगा
और कब आप मुझे यहाँ इस झूठे संसार से बुला लोगे ...
प्रणाम जी
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