Tuesday, August 25, 2015

सरूप सुन्दर सनकूल सकोमल, रूह देख नैना खोल नूर जमाल ।
फेर फेर मेहेबूबजी आवत हिरदें, किया किनने तेरा कौल फैल ए हाल ।।

परमात्मा  का स्वरूप अति सुन्दर, प्रफुल्लित, अति कोमल, दिव्य प्रकाशयुक्त है, हे मेरी आत्मा ! तू आँखें खोलकर ऐसे तेजोमय स्वरूपको देख, ऐसे प्यारे प्रिय का स्मरण ह्रिदयमें वार-वार होता है, हे आत्मा ! तू विचार कर कि तेरे वचन, कर्म (चलन) और मनस्थितिको इतने महान किसने बनाया ..

प्रणाम जी

No comments:

Post a Comment