(श्री प्राणनाथ वाणी पर आधारित)
संसार के लोग सारे परिवार का बोझ अपने शरीर पर लेकर माया के कामों में लगे रहते हैं और इसी में अपने शरीर को जर्जर कर देते हैं । स्वयं तो परमात्मा का भजन करते नहीं, किन्तु कर्मफल के कारण जब कष्ट मिलता है तो परमात्मा को ही दोषी ठहरा देते हैं । भजन न करने के बहाने बनाते हुए कहते हैं कि हम क्या करें, बिना परमात्मा की दया के तो सत्संग भी नहीं मिलता, उसके बिना हम भजन कैसे करें ?
सब बहाने त्याग कर परमात्मा को पाने का प्रयास करना ही परम लक्ष्य है...
प्रणाम जी
संसार के लोग सारे परिवार का बोझ अपने शरीर पर लेकर माया के कामों में लगे रहते हैं और इसी में अपने शरीर को जर्जर कर देते हैं । स्वयं तो परमात्मा का भजन करते नहीं, किन्तु कर्मफल के कारण जब कष्ट मिलता है तो परमात्मा को ही दोषी ठहरा देते हैं । भजन न करने के बहाने बनाते हुए कहते हैं कि हम क्या करें, बिना परमात्मा की दया के तो सत्संग भी नहीं मिलता, उसके बिना हम भजन कैसे करें ?
सब बहाने त्याग कर परमात्मा को पाने का प्रयास करना ही परम लक्ष्य है...
प्रणाम जी
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