Sunday, August 30, 2015

सत्य के व्यापारियों

सुप्रभात जी

सत्य के व्यापारियों अर्थात् परब्रह्म को पाने की राह पर कदम बढ़ाने वालों ! मैं आपको एक बात समझा कर कह रहा हूँ, उसे ध्यानपूर्वक सुनिए । यह संसार बाजीगर के खेल की तरह माया का ऐसा फन्दा है, जिसमें हर कोई उलझा हुआ है । इस माया ने जीव को तृष्णा की गांठ देकर मौत की फांसी लगा रखी है । साथ ही विषयों में उल्टा लटका रखा है। काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ, तथा मत्सर (ईर्ष्या) के अनेकों बन्धनों से इस प्रकार बांध दिया गया है, जिसे कोई भी खोल नहीं पाता है ..सावधान रहो ये माया बहोत ठगनी है तुम इसके तामसिक और राजसी रूप से तो किसी तरह पार पा लोगे पर  इसका सात्विक रूप बहोत भूलभुलयीया है जिस से पार पाना बहौत कठिन है..

प्रणाम जी

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