Sunday, August 9, 2015

आज चारों तरफ धर्म का व्यापार लगा है ऐसे मे सच्चे गुरू को केसे पहचानें ????

आज चारों तरफ धर्म का व्यापार लगा है ऐसे मे सच्चे गुरू को केसे पहचानें ????
(श्री प्राणनाथ वाणी पर आधारित)

शास्त्रों और पुराणों के विद्वानों, तरह-तरह की वेश-भूषा धारण करने वाले महात्मा और विभिन्न पन्थों में तुम भले ही खोजते रहो, लेकिन सद्गुरु का स्वरूप नहीं मिलेगा। सद्गुरु का स्वरूप इन सबसे अलग ही होता है। वास्तविक सद्गुरु तो इस कलियुग में कहीं एक ही होगा।
यदि तुम परम सत्य को पाना चाहते हो तो ज्ञान के अमृतमय शब्दों को पहचानो। शब्दों से ही उनके वास्तविक स्वरूप की पहचान होती है। सद्गुरु का स्वरूप किसी प्रचलित वेश-भूषा के बन्धनों में बंधा हुआ नहीं दिखायी देता। सद्गुरु के जिस स्वरूप ने प्रियतम परब्रह्म को पा लिया होता है, वह उनके प्रेम में ही डूबा हुआ होता है। ऐसे सद्गुरु अपनी अध्यात्म-सम्पदा को मायावी लोगों से छिपाकर ही रखते हैं, वे किसी भी प्रकार का सिद्धि-प्रदर्शन नहीं करते।
सद्गुरु तथा प्रियतम परब्रह्म की बड़ी महिमा है। मन का समर्पण किये बिना न तो सद्गुरु को ही रिझाया जा सकता है और न अपने प्रियतम को ही पाया जा सकता है। समर्पण के अतिरिक्त अन्य कोई भी मार्ग नहीं है। यदि तुम उस लक्ष्य को पाना चाहते हो तो अपनी बड़ाई के चक्कर में न पड़ो।
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी

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