सुप्रभात जी
मन पर विजय प्राप्त करनेवाला पुरुष ही इस विश्व में बुद्धिमान् और् भाग्यवान है । वही सच्चा पुरुष है । जिसमें मन का कान पकड़ने का साहस नहीं, जो प्रयत्न तक नहीं करता वह मनुष्य कहलाने के योग्य ही नहीं । वह साधारण गधा नहीं अपितु मकरणी गधा है ।
वास्तव में तो मन के लिए उसकी अपनी सत्ता ही नहीं है । आपने ही इसे उपजाया है । यह आपका बालक है । आपने इसे लाड़ लड़ा-लड़ाकर उन्मत बना दिया है । बालक पर विवेकपूर्ण अंकुश हो तभी बालक सुधरते हैं । छोटे पेड़ की रक्षार्थ काँटों की बाड़ चाहिए । इसी प्रकार मन को भी खराब संगत से बचाने के लिए आपके द्वारा चौकीरुपी बाड़ होनी चाहिए ।
मन को देखें
मन के चाल-चलन को सतत देखें । बुरी संगत में जाने लगे तो उसके पेट में ज्ञान का छुरा भोंक दें । चौकीदार जागता है तो चोर कभी चोरी नहीं कर सकता । आप सजाग रहेंगे तो मन भी बिल्कुल सीधा रहेगा ।
मन के मायाजाल से बचें
पहाड़ से चाहे कूदकर मर जाना पड़े तो मर् जाइये, समुद्र में डूब मरना पड़े तो डूब मरिये, अग्नि में भस्म होना पड़े तो भले ही भस्म हो जाइये और हाथी के पैरों तले रुँदना पड़े तो रुँद जाइये परन्तु इस मन के मायाजाल में मत फँसिए । मन तर्क लडाकर विषयरुपी विष में घसीट लेता है । इसने युगों-युगों से और जन्मों-जन्मों से आपको भटकाया है । आत्मारुपी घर से बाहर खींचकर संसार की वीरान भूमि में भटकाया है । प्यारे ! अब तो जागो ! मन की मलिनता त्यागो । आत्मस्वरुप में जागो । साहस करो । पुरुषार्थ करके मन के साक्षी व स्वामी बन जाओ ।
Satsangwithparveen.blogspot.com
प्रणाम जी
मन पर विजय प्राप्त करनेवाला पुरुष ही इस विश्व में बुद्धिमान् और् भाग्यवान है । वही सच्चा पुरुष है । जिसमें मन का कान पकड़ने का साहस नहीं, जो प्रयत्न तक नहीं करता वह मनुष्य कहलाने के योग्य ही नहीं । वह साधारण गधा नहीं अपितु मकरणी गधा है ।
वास्तव में तो मन के लिए उसकी अपनी सत्ता ही नहीं है । आपने ही इसे उपजाया है । यह आपका बालक है । आपने इसे लाड़ लड़ा-लड़ाकर उन्मत बना दिया है । बालक पर विवेकपूर्ण अंकुश हो तभी बालक सुधरते हैं । छोटे पेड़ की रक्षार्थ काँटों की बाड़ चाहिए । इसी प्रकार मन को भी खराब संगत से बचाने के लिए आपके द्वारा चौकीरुपी बाड़ होनी चाहिए ।
मन को देखें
मन के चाल-चलन को सतत देखें । बुरी संगत में जाने लगे तो उसके पेट में ज्ञान का छुरा भोंक दें । चौकीदार जागता है तो चोर कभी चोरी नहीं कर सकता । आप सजाग रहेंगे तो मन भी बिल्कुल सीधा रहेगा ।
मन के मायाजाल से बचें
पहाड़ से चाहे कूदकर मर जाना पड़े तो मर् जाइये, समुद्र में डूब मरना पड़े तो डूब मरिये, अग्नि में भस्म होना पड़े तो भले ही भस्म हो जाइये और हाथी के पैरों तले रुँदना पड़े तो रुँद जाइये परन्तु इस मन के मायाजाल में मत फँसिए । मन तर्क लडाकर विषयरुपी विष में घसीट लेता है । इसने युगों-युगों से और जन्मों-जन्मों से आपको भटकाया है । आत्मारुपी घर से बाहर खींचकर संसार की वीरान भूमि में भटकाया है । प्यारे ! अब तो जागो ! मन की मलिनता त्यागो । आत्मस्वरुप में जागो । साहस करो । पुरुषार्थ करके मन के साक्षी व स्वामी बन जाओ ।
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